गोरक्षनाथ संकट मोचन स्तोत्र
बाल योगी भये रूप लिए तब, आदिनाथ लियो अवतारों।ताहि समे सुख सिद्धन को भयो, नाती शिव गोरख नाम उचारो॥भेष भगवन के करी विनती तब अनुपन शिला पे ज्ञान विचारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥सत्य युग मे भये कामधेनु गौ तब जती गोरखनाथ को भयो प्रचारों।आदिनाथ वरदान दियो तब , गौतम ऋषि से शब्द उचारो॥त्रिम्बक क्षेत्र मे स्थान कियो तब गोरक्ष गुफा का नाम उचारो ।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥सत्य वादी भये हरिश्चंद्र शिष्य तब, शुन्य शिखर से भयो जयकारों।गोदावरी का क्षेत्र पे प्रभु ने , हर हर गंगा शब्द उचारो।यदि शिव गोरक्ष जाप जपे , शिवयोगी भये परम सुखारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥अदि शक्ति से संवाद भयो जब , माया मत्सेंद्र नाथ भयो अवतारों।ताहि समय प्रभु नाथ मत्सेंद्र, सिंहल द्वीप को जाय सुधारो ।राज्य योग मे ब्रह्म लगायो तब, नाद बंद को भयो प्रचारों।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥आन ज्वाला जी किन तपस्या , तब ज्वाला देवी ने शब्द उचारो।ले जती गोरक्षनाथ को नाम तब, गोरख डिब्बी को नाम पुकारो॥शिष्य भय जब मोरध्वज राजा ,तब गोरक्षापुर मे जाय सिधारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ज्ञान दियो जब नव नाथों को , त्रेता युग को भयो प्रचारों।योग लियो रामचंद्र जी ने जब, शिव शिव गोरक्ष नाम उचारो ॥नाथ जी ने वरदान दिया तब, बद्रीनाथ जी नाम पुकारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥गोरक्ष मढ़ी पे तपस्चर्या किन्ही तब, द्वापर युग को भयो प्रचारों।कृष्ण जी को उपदेश दियो तब, ऋषि मुनि भये परम सुखारो॥पाल भूपाल के पालनते शिव , मोल हिमाल भयो उजियारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥
ऋषि मुनि से संवाद भयो जब , युग कलियुग को भयो प्रचारों।कार्य मे सही किया जब जब राजा भरतुहारी को दुःख निवारो,ले योग शिष्य भय जब राजा, रानी पिंगला को संकट तारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥मैनावती रानी ने स्तुति की जब कुवा पे जाके शब्द उचारो।राजा गोपीचंद शिष्य भयो तब, नाथ जालंधर के संकट तारो। ।नवनाथ चौरासी सिद्धो मे , भगत पूरण भयो परम सुखारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥दोहा :- नव नाथो मे नाथ है , आदिनाथ अवतार ।जती गुरु गोरक्षनाथ जो , पूर्ण ब्रह्म करतार॥संकट -मोचन नाथ का , सुमरे चित्त विचार ।जती गुरु गोरक्षनाथ जी मेरा करो निस्तार ॥अल्लख निरंजन ॥ आदेश ॥ॐ र्हीम र्हाम रक्ष रक्ष शिव गोरक्ष ॥
ऋषि मुनि से संवाद भयो जब , युग कलियुग को भयो प्रचारों।कार्य मे सही किया जब जब राजा भरतुहारी को दुःख निवारो,ले योग शिष्य भय जब राजा, रानी पिंगला को संकट तारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥मैनावती रानी ने स्तुति की जब कुवा पे जाके शब्द उचारो।राजा गोपीचंद शिष्य भयो तब, नाथ जालंधर के संकट तारो। ।नवनाथ चौरासी सिद्धो मे , भगत पूरण भयो परम सुखारो।को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥दोहा :- नव नाथो मे नाथ है , आदिनाथ अवतार ।जती गुरु गोरक्षनाथ जो , पूर्ण ब्रह्म करतार॥संकट -मोचन नाथ का , सुमरे चित्त विचार ।जती गुरु गोरक्षनाथ जी मेरा करो निस्तार ॥अल्लख निरंजन ॥ आदेश ॥ॐ र्हीम र्हाम रक्ष रक्ष शिव गोरक्ष ॥